छात्राओं के व्यक्तित्व के सम्पूर्ण तथा सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक है कि शिक्षा निर्माणोंन्मुखी हो।
छात्राओं में शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, संवेगात्मक, आध्यात्मिक पहलुओं के विकास हो इसीलिये प्रतिभास्थली में औपचारिक शिक्षा के साथ-साथ विभिन्न पाठ्यसहगामी क्रियाएं भी सिखाई जाती हैं।
विद्यालय के नियमित समय के बाद प्रतिदिन इन गतिविधियों का आयोजन किया जाता है जिनमें छात्राएं उत्साह, रूचि व उमंग के साथ भाग लेती हैं।
कहा गया है कन्या देहली दीपक के समान होती है वह जिस भी कुल में रहती है उसे प्रकाशित करती है। इसीलिए एक कन्या को संस्कारित करने से एक परिवार या एक कुल या एक समाज ही नहीं वरन सम्पूर्ण देश शिक्षित व संस्कारित होता है।
जीवन को सफल तथा सुखमय बनाने के लिए आवश्यक है कि छात्राओं में प्रतिकूल परिस्थितियों को अनुकूल बनाने का भी सामर्थ्य आये। इसीलिए प्रतिभास्थली में छात्राओं के सर्वांगीण विकास के लिए सभी संभव प्रयास किये जाते हैं।