वर्ष में एक बार ही होता है, किन्तु उसका प्रभाव छात्राओं पर वर्ष भर रहता है। प्रतिभास्थली में प्रतिवर्ष वार्षिकोत्सव मनाया जाता है जिसे अभ्युदय नाम दिया गया है।
वर्ष में एक बार ही होता है, किन्तु उसका प्रभाव छात्राओं पर वर्ष भर रहता है। प्रतिभास्थली में प्रतिवर्ष वार्षिकोत्सव मनाया जाता है जिसे अभ्युदय नाम दिया गया है।
वर्ष 2017, संयम पथ के अविराम यात्री 108 आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज का ‘50 वाँ दीक्षा वर्ष’ भारत के कोने-कोने में ‘संयम स्वर्णिम महोत्सव’ के रूप में हर्षोउल्लास से मनाया जा रहा है।
जिसमें छात्राओं द्वारा मंगलाचरण के पश्चात् आचार्यश्री जी द्वारा रचित मूकमाटी पर आधारित नाटिका, मूक अभिनय, कृष्ण-अर्जुन संवाद, अभिनय, कुल दीपक नाटक, भरत नाट्यम एवं नृत्य, योग आदि के माध्यम से संदेशात्मक प्रस्तुतियाँ दी गयीं।
वार्षिकोत्सव 2023
छात्राओं ने वार्षिक महोत्सव में कई अनोखी प्रस्तुतियाँ दी। जिसमें छात्रों ने लोगों तक यह संदेश पहुंचा कि भारतीय इतिहास में चंद्रगुप्त मौर्य के जैन धर्म से कैसे संबंध थे?
हमारे देश का इतिहास मुगलों की चर्चा करने में तो व्यस्त रहा है लेकिन देश के महान शासक चंद्रगुप्त मौर्य के जैन दर्शन से ओतप्रोत गौरवशाली पहलू को महिमामंडित करने में इतिहासकारों ने कभी रूचि नहीं दिखाई। प्रतिभाशाली की छात्राओं द्वारा की गई इस प्रस्तुति से प्रेरित होकर उपस्थित सभाजनों ने अपने इस कार्यक्रम की सराहना की।
© प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ रामटेक