“बहुत नहीं बहुत बार पढने से ज्ञान का विकास होता है।” -आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज
मस्तिष्क को क्रियाशील और गतिशील रखने के लिए शुद्ध ज्ञान और नवीन विचारों की आवश्यकता होती है यह ज्ञान और शुद्ध विचार हमें अज्ञान के अंधकार से निकालकर ज्ञान के प्रकाशपूर्ण लोक में ले जाते हैं।
प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ, श्री शांतिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर, रामटेक, जिला – नागपुर (महाराष्ट्र)
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