भारतीय कलाएँ जीवन को सुंदर बनाती हैं। जब कला संगीत के रुप में उभरती है तो कलाकार गायन और वादन से स्वयं को ही नहीं श्रोताओं को भी अभिभूत कर देता है। भारतीय संगीत से जहाँ एक ओर दीपक राग से दीपक जल उठते हैं, मल्हार राग से मेघ बरसते हैं तो वहीँ मानव के अनेक रोगों का उपचार भी संगीत की तरंगों से सम्भव है। कहा भी गया है:
संगीत है शक्ति ईश्वर की,
हर सुर में बसे हैं राम।
रागी तो गाए रागिनी,
रोगी को मिले आराम।।
हर सुर में बसे हैं राम।
रागी तो गाए रागिनी,
रोगी को मिले आराम।।
ऐसे भारतीय संगीत का अभ्यास प्रतिभास्थली की छात्राएँ, विभिन्न कक्षाओं में पाठ्यक्रमानुसार करती हैं।
यहाँ छात्राएँ हारमोनियम, केसियो, सितार आदि वाद्ययंत्रों के माध्यम से अभ्यास करती हैं। अभ्यास करते समय उनकी अंतस चेतना से निकले मधुर स्वर गूंज उठते हैं, जो सभी को स्पंदित करते हुए, आत्मीयता से भर देते हैं।