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मानस तरंग

कहते हैं प्रत्येक इंसान में कुछ ना कुछ विशेष क्षमताएँ होती हैं। छात्राओं के अन्दर छुपी प्रतिभाओं को निखारने और उनका मनोबल बढ़ाने के लिए आवश्यकता होती है एक मंच की, और प्रतिभास्थली के इस मंच को मानस तरंग नाम दिया गया है।
प्राकृतिक वातावरण के बीच इसी स्थान पर आचार्य गुरुदेव श्री विद्यासागर जी महाराज के आशीर्वाद और परम सानिध्य में 2012 में पञ्च कल्याणक महोत्सव हुआ और स्थापना हुई चौबीसी मंदिर की और कुछ समय बाद आकार लिया जीवंत चौबीसी ने, अर्थात् 24 ब्रह्मचारी भाइयों ने दिगम्बरी दीक्षा ली।
पवित्रता और निर्मलता से भरे इसी स्थान पर 2014 में स्थापना हुई विद्या के मंदिर प्रतिभास्थली की गुरु विद्यासागर जी के आशीर्वाद से। यहाँ वर्ष भर विभिन्न शैक्षिक गतिविधियों और कार्यक्रमों, वार्षिकोत्सवों का मंचन और संचालन किया जाता है।