क्रीडांगण

सामूहिक जिम्मेदारी, सहयोग और अनुशासन की भावना का कोषागार खेलों में ही छिपा होता है।

स्वस्थ मस्तिष्क के लिए स्वस्थ शरीर का होना अनिवार्य है। विद्‌यार्थी जीवन मानव जीवन की आधारशिला है। इस काल में जो विद्‌यार्थी अपनी पढ़ाई के साथ खेलों को बराबर का महत्व देते हैं वे प्राय: कुशाग्र बुद्‌धि के होते हैं।

वे अन्य विद्‌यार्थियों की तुलना में अधिक चुस्त-दुरस्त होते हैं तथा उनमें समयबद्धता, धैर्य, अनुशासन, समूह में कार्य करना, लगन, सहनशीलता, क्षमा जैसे गुणों का विकास होता है।

स्वस्थ व क्रियाशील व्यक्तित्व के निर्माण व शारीरिक और मानसिक रोग भ्रमों को दूर करने में जब छात्राएँ दिन भर मानसिक श्रम से थक जाती हैं तो उनकी थकान मिटाने के लिए विभिन्न खेलों का सहारा लिया जाता है।
 
प्रतिभास्थली में छात्राओं को खेलने के लिए दो-दो विशाल क्रीडांगण हैं, जहाँ नियमित खेल-कूद द्वारा छात्राओं में अनुशासन, मर्यादा, एकता, प्रेम, सौहार्द, सामंजस्य, नेतृत्व जैसे मानवीय गुणों का विकास होता है।